Tuesday, February 12, 2008


यह जानकार आपको हैरंयत होगी की सारे धर्मों ने शराब का विरोध किया है . और यह साधारण , बिलकुल ना समझने वाले नेतागण जो दुनिया को समझाते हैं की शराब का इसलिए विरोध किया है की उससे चरित्र नष्ट हो जाता है, की उससे घर की सम्पंती नष्ट हो जाती है ,की आदमी लड़ने झगड़ने लगता है , यह सब बेवकूफी की बातें हैं . धर्मों ने शराब का विरोध सिर्फ इसलिए किया है क्योंकि जो आदमी शराब पीता है , वोह अपने को भुलाने का उपाय कर रहा है ,वोह अपनी आत्मा से कभी भी परिचित नहीं हो सकता ,क्योंकि आत्मा से परिचित होने के लिए अपने को जानने की इच्छा होनी चाहिए .इसलिए शराब और समाधि दो विरोधी चीज़ बन गयी .जितनी अकड़ शर्ब न पीने वाले मैं देखि जाती है उतनी शर्ब पीने वाले में नहीं देखि जाती. पर फिर शर्ब क्यों ख़राब मानी जाती है ??? यह इसलिए की अगर हम शर्ब पीते हैं तोह हम अपने आप को भूल जाते है , अपने स्वरुप को भूल जाते है , अपना परिचय अपने आप से नहीं करवा पाते , तोह हम अपने इस जन्म को भूलने की फिक्र में लग जाते हैं अगर शराब पीते हैं , तोह होता यह है की हम पिछले जन्मों को भी याद नहीं कर सकते , और अगर हम पिछले जन्मों को याद कर नहीं सकते तोह इस जनम को कैसे सुधर लेंगे !!!!!!!

No comments: